दस दिवसीय श्रावक संस्कार शिविर आर्यिका श्री स्वस्तिभूषण माताजी के सानिध्य में यहां 6 सितम्बर तक दस दिवसीय श्रावक संस्कार शिविर आयोजित हो रहा है। इसमें देशभर से 1200 से अधिक श्रावक हिस्सा लेंगे। शिविर प्रतिदिन सुबह 5 बजे योग व ध्यान से प्रारम्भ होगा। इसमें जिन अभिषेक, सामूहिक पूजन और प्रवचन होंगे। दोपहर ढाई बजे तत्वार्थ सूत्र व षट्ढाला का आयोजन होगा। शाम को संध्या प्रतिक्रमण, आरती, प्रवचन व सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।
रात होते ही बदलता जहाज का रंग सांझ ढलते ही मंदिर रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगा उठता है। परिसर में बने फव्वारों की फुहार से माहौल और भी मनमोहक हो जाता है। इस अद्भुत नजारे को देखने बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक पहुंचते हैं।
आकर्षक बनावट और ऐतिहासिक महत्व मंदिर द्वार पर भव्य मानस्तंभ है। सफेद पत्थरों से बना विशाल प्रवेश हॉल है। हॉल में 1008 प्रतिमाओं वाली सहस्त्रकूट वेदिया स्थापित है। दूसरे तल पर मुख्य वेदी में भगवान मुनिसुव्रतनाथ की प्रतिमा। दाईं ओर आदिनाथ भगवान व बाईं ओर महावीर भगवान की प्रतिमा है। शीर्ष पर 24 तीर्थंकरों की 24 वेदियां स्थापित है।
निर्माण यात्रा
- 2013 : मंदिर गर्भगृह का निर्माण प्रारम्भ।
- 2014 : भगवान मुनिसुव्रतनाथ की प्रतिमा छोटे मंदिर में विराजमान।
- 2015 : जहाजनुमा मंदिर का मॉडल तैयार कर नींव रखी।
- 2020 (जनवरी–फरवरी) : आचार्य ज्ञानसागर महाराज व आर्यिका स्वस्तिभूषण माताजी के सानिध्य में पंचकल्याणक महोत्सव। आज मंदिर परिसर में जहाजनुमा मंदिर के साथ उत्सव भवन, वाटिका और भोजनशाला भी हैं।
पर्यटन व आस्था का केंद्र
- – सालभर देशभर से श्रद्धालुओं की आवाजाही।
- – रात में जगमगाता मंदिर और फव्वारों का नजारा पर्यटकों को लुभाता है।
- – राजस्थान का तेजी से विकसित हो रहा धार्मिक–पर्यटन स्थल।
कैसे पहुंचे जहाजपुर जैन मंदिर
- हवाई मार्ग : जयपुर हवाई अड्डा निकटतम 180 किमी।
- रेल मार्ग : निकटतम स्टेशन बूंदी 70 किमी व भीलवाड़ा 85 किमी।
- सड़क मार्ग : भीलवाड़ा से 85 किमी, जयपुर से 180 किमी देवली–शाहपुरा मार्ग से।