टीम को निजी चिकित्सालयों की निगरानी करनी होगी। निगरानी के दौरान सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को बहला-फुसलाकर निजी अस्पताल भेजने और सरकारी डॉक्टर निजी अस्पताल में इलाज करते हुए पकड़ा गया तो 16 सीसीए नियमों के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
अनूठी पहल: 90 फीसदी से अधिक परीक्षा परिणाम पर मिलेगा समान
इस संबंध में जिला अस्पताल में कार्यरत समस्त चिकित्सा अधिकारियों को सतत निर्देश दिए गए हैं कि यदि वे निजी संस्थानों में इलाज या सर्जरी करते पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के साथ-साथ राज्य सरकार को हुए राजस्व नुकसान की वसूली भी की जाएगी। जांच कमेटी के सदस्य निजी अस्पतालों में हर पहलुओं से छानबीन करेंगे।
मिल रही थी शिकायतें
निजी अस्पतालों में सरकारी चिकित्सकों की ओर से परामर्श और ऑपरेशन करने की लगातार शिकायतें/सूचना मिल रही थी। इसे देखते हुए अस्पताल प्रशासन ने जांच समिति गठित कर कठोर निर्णय किया है। विशेष रूप से गायनिक, सर्जरी और आर्थेोपेडिक, मनोचिकित्सक की शिकायतें आ रही हैं। ऐसे डॉक्टर जो नॉन प्रैक्टिस अलाउंस का लाभ भी ले रहे हैं और मरीजों को अन्यत्र क्लीनिक लगाकर परामर्श दे रहे हैं, उन पर भी कार्रवाई की जाएगी।
सरकारी अस्पतालों में मरीज परेशान
यह कदम इसलिए उठाया गया है, क्योंकि सरकारी डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस से राजकीय अस्पतालों की सेवाओं पर सीधा असर पड़ रहा है। मरीजों को समुचित उपचार नहीं मिल पाता और उन्हें निजी में इलाज के लिए जाना पड़ता है। इससे सरकार की मंशा भी पूरी नहीं हो पाती है। इस जांच अभियान से मरीजों को सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ मिल सकेगा।
इनका कहना है
सरकारी डॉक्टर अगर निजी अस्पतालों में ऑपरेशन या परामर्श देते हैं तो इसकी शिकायत 181 संपर्क पोर्टल पर की जा सकती है। गठित टीम नियमित जांच करेगी। दोषी पाए जाने पर संबंधित डॉक्टर के खिलाफ सत कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. अरुण गौड़, अधीक्षक एमजीएच (भीलवाड़ा)