मंडी के अंदर शुल्क, बाहर छूट व्यापारियों ने आरोप लगाया कि सरकार ने यूजर चार्ज केवल मंडी परिसर में लागू किया है, जबकि मंडी के बाहर व्यापार करने वालों पर कोई शुल्क नहीं है। इससे मंडी के अंदर के व्यापारी प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाएंगे। व्यापारियों ने कहा कि यदि यूजर चार्ज निरस्त नहीं किया गया तो वे मंडी से पलायन कर जाएंगे।
किसानों व उपभोक्ताओं पर पड़ेगा असर व्यापारियों ने कहा कि यह शुल्क केवल व्यापारियों पर ही नहीं, बल्कि किसानों और उपभोक्ताओं पर भी सीधा असर डालेगा। मंडी परिसर खाली होने पर किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिलेगा। उपभोक्ताओं को सस्ता सामान मंडी से नहीं मिल पाएगा। बिना बिल के लेन-देन बढ़ने की संभावना है। मंडी सूनी होने से राज्य सरकार को मंडी शुल्क और केंद्र सरकार को जीएसटी राजस्व का नुकसान होगा।
ज्ञापन में रखी मांगें व्यापारियों ने मंडी सचिव को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा और बाद में जिला कलक्टर कार्यालय जाकर भी ज्ञापन दिया। इसमें बताया गया कि मौजूदा बाजार में मुनाफा सिर्फ 1 प्रतिशत तक ही रह गया है। व्यापारियों को स्टाफ, बिजली, फोन और बैंक कैश क्रेडिट पर ब्याज जैसे खर्च झेलने पड़ते हैं। ऐसे में 50 पैसे प्रति सैकड़ा का यूजर चार्ज मुनाफे को पूरी तरह खत्म कर देगा। यह नीति केंद्र सरकार की जीएसटी सरलीकरण की नीति के विपरीत है।
व्यापारियों की राय भीलवाड़ा से उठी यह आवाज अब राज्य स्तर पर बड़ा आंदोलन बनने की ओर है। व्यापारियों का कहना है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो प्रदेशव्यापी आंदोलन करेंगे। भीलवाड़ा कृषि उपज मंडी यार्ड व होलसेल किराणा मर्चेंट एसोसिएशन अध्यक्ष लक्ष्मणदास हेमनानी ने कहा कि यह शुल्क केवल व्यापारियों पर ही नहीं, बल्कि किसानों और उपभोक्ताओं पर भी बोझ डालेगा। सचिव राजेन्द्र बिड़ला ने कहा कि केंद्र सरकार करों को कम कर रही है और राज्य सरकार नया कर लगा रही है। यह विरोधाभास है। मंडी व्यापारी किशोर गुरनानी ने कहा कि मंडी के बाहर शुल्क नहीं है, इसलिए मंडी के अंदर के व्यापारी प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाएंगे।