सर्वे में यह पूछा जाएगा डिजिटल सर्वे के माध्यम से वीविंग उद्योग संचालकों से जानकारी ली जाएगी कि उनके पास किस प्रकार की पावरलूम तकनीक है। उत्पादन की क्षमता क्या है। कितने श्रमिक कार्यरत हैं और उन्हें किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसके लिए क्यूआर कोड व गूगल फॉर्म के माध्यम से जवाब मांगे गए हैं।
मिलेगा फायदा वीविंग उद्योग संचालक रमेशचन्द्र अग्रवाल का कहना है कि भीलवाड़ा के उद्यमी लंबे समय से इस उद्योग से जुड़े हैं, लेकिन अब हालात चुनौतीपूर्ण हो गए हैं। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर अगर सरकार योजनाएं बनाती है, तो विविंग उद्योग को बड़ा सहारा मिलेगा।
प्रदेश व भीलवाड़ा की स्थिति राजस्थान में 22 हजार पावरलूम्स हैं। इनमें से भीलवाड़ा में इनकी संख्या 17 हजार से अधिक है जो राज्य की कुल क्षमता का 77 प्रतिशत है। भीलवाड़ा में वीविंग इकाइयाें की संख्या 375 है। इनमें सूटिंग, डेनिम, रेडीमेड गारमेंट जैसे कपड़े का उत्पादन होता है। इन लूम में सल्जर लूम, डोनियर और रेपियर, एयरजेट, वाटरजेट, रूटी सी, रूटी बी तथा सिम्को लूम शामिल हैं। वीविंग सेक्टर की वार्षिक उत्पादन क्षमता 85 से 90 करोड़ मीटर पीवी सूटिंग तथा डेनिम है। इसमें से लगभग 7 से 8 करोड़ मीटर निर्यात के लिए कपड़ा तैयार किया जाता है। जिसकी कीमत 550 करोड़ रुपए है।
केंद्र सरकार करवा रही सर्वे टेक्सटाइल मंत्रालय के नोएड़ा स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारी धनराज मीणा का कहना है कि केंद्र सरकार देश व प्रदेश में पावरलूम सेक्टर (वीविंग उद्योग) में लगी मशीनों का सर्वे करवा रही है। इस सर्वे के माध्यम से पुरानी हो चुकी टेक्नोलॉजी को बदलकर नई टेक्नोलॉजी लाना चाहती है। इसे लेकर एक गूगल शीट तैयार की है। उसके माध्यम से भीलवाड़ा के उद्यमियों से सर्वे रिपोर्ट मांग रहे है।
केंद्र सरकार का सकारात्मक कदम “पावरलूम सर्वे निश्चित रूप से एक सकारात्मक कदम है, लेकिन यह तभी सफल होगा जब इसके आधार पर ठोस नीतियां बनाई जाएं। तकनीकी अपग्रेडेशन, रियायती बिजली दरें, स्किल ट्रेनिंग और वित्तीय सहायता जैसे उपायों की दरकार है। चेम्बर का मानना है कि सर्वे के बाद स्थानीय उद्योग प्रतिनिधियों को भरोसे में लेकर योजनाएं तय की जाएं, तभी इसका प्रभाव ज़मीनी स्तर तक पहुंचेगा।”
आरके. जैन, महासचिव, मेवाड़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री