इस राशि का इस्तेमाल कर आईआईटी अपने विद्यार्थियों के साथ छत्तीसगढ़ के उन वोकल फॉर लोकल स्टार्टअप को आगे बढ़ाने में करेगा। आईआईटी रूरल डेवलपमेंट को लेकर शुरू होने वाले स्टार्टअप को प्राथमिकता सूची में रखेगा। ऐसे युवा जो क्षेत्र की किसी समस्या का समाधान खोजने की काबिलियत रखते हैं, उन्हें उनकी रिचर्स के लिए फंड और एक्सपर्ट का ज्ञान दोनों दिया जाएगा।
आईआईटी और स्टार्टअप का रिश्ता
देश की टॉप कंपनियों में उच्च पदों पर बैठे अधिकतम अधिकारियों की शुरुआत आईआईटी से ही हुई है। इसी तरह ओला और फ्लिपकार्ट जैसा कंपनी को शुरू करने वाले फाउंडर भी आईआईटी की ही देन हैं। इन्होंने आईआईटी में पढ़ाई के दौरान ही स्टार्टअप की दिशा चुना और कामयाब हुई। आगे बढ़ाने में शीर्ष आईआईटी साथ खड़ा रहा। अब वैसा ही माहौल आईआईटी भिलाई भी देगा। शुरुआत छत्तीसगढ़ की प्रॉब्लम स्टेटमेंट को समझकर बिजनेस के रूप में उनका समाधान पेश करने से होगी। छत्तीसगढ़ में स्टार्टअप और रिसर्च इनक्यूबेशन के काम होंगे। सीएसआर से मिली राशि का उपयोग करते हुए छात्रों और शोधकर्ताओं को छत्तीसगढ़ और पूरे देश की जरूरतों पर केंद्रित काम शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
प्रो. राजीव प्रकाशडायरेक्टर, आईआईटी भिलाई
डेवलप करेंगे इन्क्यूबेशन सेंटर
आईआईटी भिलाई को सामाजिक उत्तरदायित्व शाखा यानी सीएसआर से दिया गया है। इससे पहले भी आईआईटी भिलाई ने कई प्रमुख संस्थानों से रिसर्च एंड इन्क्यूबेशन ग्रांट हासिल की है। सीएसआर से मिलने वाले राशि का उपयोग करते हुए आईआईटी अब विशेष इन्क्यूबेशन विभाग डवलप करेगा। इसका मकसद सोशल इम्पैक्ट में रुचि रखने वाले उन स्टार्टअप की मदद करना है, जो ग्रामीण क्षेत्र में बिना किसी बड़े बदलाव के उन्नत बनाने की सोच रखते हैं। छत्तीसगढ़ के युवाओं में भी ढेरों संभावनाएं है। आईआईटी अपने विद्यार्थियों को स्टार्टअप की दिशा दिखाने के साथ अब प्रदेश में भी स्टार्टअप का कल्चर शुरू करेगा। अभी तक छत्तीसगढ़ में कई ऐसे युवा हैं, जिनके पास स्टार्टअप का बढ़िया आइडिया तो है लेकिन वे मार्गदर्शन और फंड की कमी के कारण आगे नहीं बढ़ पाते। उनके पास फंड जनरेट करने के लिए प्रदेश छोड़कर मेट्रो सिटीज का रुख करने का ही एक मात्र रास्ता होता है। छत्तीसगढ़ में आईआईटी इस गैप को दूर करने में मददगार साबित होगा।