RGHS: घोटाले का खुला खेल,काट दिए 38 करोड़ के पर्चे, डॉक्टर, फार्मा कंपनी व मरीजों की मिलीभगत
भरतपुर जिले में आरजीएचएस स्कीम में घोटाले का खुलासा हुआ है। आरजीएचएस की विजीलेंस टीम ने यह फर्जीवाड़ा उजागर किया है। जिसमें डॉक्टर, फार्मा कंपनी से लेकर मरीज तक सभी संलिप्त पाए गए हैं।
राजीव पचौरी राजस्थान के भरतपुर जिले में राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम में एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। सरकार की ओर से हाल ही की गई आंतरिक समीक्षा में कई चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं। इसमें सरकारी डॉक्टरों, दवा कंपनियों के एजेंटों और योजनाबद्ध तरीके से जुड़े मरीजों की वित्तीय गड़बड़ियां उजागर हुई हैं।
आरजीएचएस की विजीलेंस टीम के मंथन के बाद ऐसी चीजें सामने आई हैं, जो चौंकाने वाली हैं। जिला अस्पतालों से इतर प्रदेश के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों से 38 करोड़ रुपए तक की दवाएं देकर बिल उठा लिए गए। अब विभाग कार्रवाई की तैयारी में जुटा है। चिकित्सकों ने दुर्लभ दवा अपने ही परिवार के लोगों के नाम चढ़ाकर पैसे उठा लिए। एक फार्मेसी ने तो ढाई सौ बार एक ही दवा के बिल उठा लिए हैं।
नकली ओपीडी पर्चियों से बिलिंग का खेल
सरकारी अस्पतालों के नाम पर नकली ओपीडी पर्चियां बनाकर दवा दुकानों से बिल पास कराए। इसमें सरकारी कर्मचारियों की संलिप्तता पाई गई। यह केस भरतपुर में हुआ।
सीनियर डॉक्टर और परिवार का सामूहिक इलाज
एक वरिष्ठ डॉक्टर ने अपने परिवार के सभी पांच सदस्यों के नाम पर एक जैसी बीमारियों के इलाज के बहाने 34 बार इलाज दिखाकर दवाइयां लीं। निजी चिकित्सा संस्थान ने जब पर्चियां देने से मना कर दिया तो खुद ही पर्चियां बनाकर उनके दस्तावेज प्रस्तुत कर दिए।
सुपर स्पेशलिस्ट दवाइयों का खेल
जांच में सामने आया है कि एक सरकारी एमबीबीएस डॉक्टर ने अन्य गैर अनुमोदित डॉक्टरों की सिफारिशों के आधार पर महंगी दवाइयां लिखीं। इन दवाओं में कई सुपर स्पेशलिटी मेडिसिन शामिल थीं, जिन्हें असली रोगियों की बजाय फार्मा कंपनी के एजेंटों की मिलीभगत से फर्जी लाभार्थियों को लिखा गया और बिलिंग की गई। यह मामला जयपुर सीएचसी से जुड़ा है।
पूरे परिवार को एक जैसी बीमारियां
एक दुर्लभ त्वचा रोग जैसी असामान्य बीमारी एक ही समय में बताई गई। चारों को ‘उर्सोडिओक्सीकॉलिक एसिड’ जैसी विशेष दवाइयां दी गईं। यह मामला अलवर की खैरथल सीएचसी का है। ऐसे 84 परिवारों की पहचान पहली ऑडिट में ही हुई है।
अब आगे क्या…
सरकार ने अब आरजीएचएस योजना को आईएचएमएस पोर्टल से जोडऩे का निर्णय लिया है ताकि सभी ओपीडी पर्चियां डिजिटल रूप में ही तैयार हों और उनकी मॉनिटरिंग की जा सके। सरकार ने स्पष्ट किया है कि अब गैर-आईएचएमएस पर्चियों पर बिलिंग स्वीकार नहीं की जाएगी।
इनका कहना है…
जिला कलक्टरों को जांच के निर्देश दिए है। ऐसे मामले सामने आने के बाद निर्देश दिए कि ये एवरेज से ज्यादा है, जिसकी ऑडिट कराई जाए। खैरथल के मामले में चिकित्सक सस्पेंड हो चुकी हैं। सभी जगह सीएमएचओ और कलक्टर से ऑडिट कराने को कहा है। -नवीन जैन, शासन सचिव वित्त (व्यय)
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