गंगा मैय्या ने सुनी राजा की पुकार
साहित्यकार रामवीर वर्मा बताते हैं कि
भरतपुर रियासत के महाराजा बलवंत सिंह को कोई संतान नहीं थी। राजपुरोहित ने उन्हें हर की पौड़ी पहुंचकर गंगा मैया से संतान प्राप्ति के लिए प्रार्थना करने की सलाह दी। बलवंत सिंह ने हर की पौड़ी पहुंचकर गंगा मैया से पुत्र प्राप्ति के लिए प्रार्थना की। कुछ समय बाद महाराजा बलवंत सिंह को महाराजा जसवंत सिंह के रूप में पुत्र प्राप्ति हुई। पुत्र प्राप्ति के बाद महाराजा बलवंत सिंह ने वर्ष 1845 में भरतपुर में गंगा मां के मंदिर के निर्माण की नींव रखी। मंदिर का कुशल कारीगर और शिल्पकारों को बुला कर बंसी पहाड़पुर के पत्थरों से निर्माण कराया।
84 खंभों पर टिकी मंदिर की इमारत
साहित्यकार वर्मा ने बताया कि दो मंजिला गंगा मंदिर की इमारत 84 खंभों पर टिकी है। मंदिर का सामने का भाग मुगल शैली और पीछे का हिस्सा बौद्ध शैली में निर्मित है। मंदिर में छतों पर बने फूल पत्ते, खंभों की सपाट और मेहराबों की गढ़ाई आकर्षक हैं। ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष में 10वीं के दिन गंगा मां स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थी। इसीलिए गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है।
1937 में हुई प्राण प्रतिष्ठा
महाराजा बलवंत सिंह के बाद भी 4 पीढ़ियों तक मंदिर का निर्माण कार्य चलता रहा। इस तरह 90 वर्ष में मंदिर का निर्माण पूर्ण हुआ। सवाई बृजेंद्र सिंह ने 22 फरवरी 1937 को मंदिर में गंगा मां की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कराई। मूर्ति का निर्माण मुस्लिम मूर्तिकार ने किया था। मूर्ति का जब श्रृंगार करते हैं तो कान में कुंडल और नाक में नथनी मोम के माध्यम से पहनाई जाती है। आज भरतपुर आएंगे मुख्यमंत्री
भरतपुर. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भरतपुर में एक दिवसीय दौरे गंगा दशहरा के पावन अवसर पर भरतपुर के ऐतिहासिक मंदिर श्री गंगा जी के दर्शन कर पूजा अर्चना करेंगे। उसके बाद महाआरती में शामिल होंगे। जिला कलक्टर डॉ. अमित यादव ने बताया कि मुख्यमंत्री हेलीकॉप्टर से शाम पांच बजे भरतपुर आएंगे। वे ऐतिहासिक गंगा मंदिर में पूजा अर्चना कर महा आरती में शामिल होंगे। सुजान गंगा नहर के किनारे दीपदान में शिरकत करेंगे।