चार युवक व दो बच्चे हुए घायल
कॉलोनी के लोगों ने बताया कि पागल श्वान ने कई लोगों को पर हमला करने की कोशिश की। हालांकि श्वान के हमले में चार युवक व दो बच्चे घायल हुए हैं। उन्होंने बताया कि इससे पहले भी आवारा श्वानों के हमले की कई घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन नगर निगम की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।पॉश कॉलोनियों में हाथ में डंडे लेकर निकलते हैं लोग
आवारा श्वानों और बंदरों का आतंक लोगों पर इस कदर हावी है कि उनमें दहशत व्याप्त हो गई है। शहर की पॉश कॉलोनियों में ऐसे हाल हैं कि बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं हाथ में डंडा लेकर घर से निकलते हैं। अब सवाल यह है कि आखिर शहरी सरकार और उसके नुमाइंदे शहर के इस सबसे बड़े मुद्दे पर कार्रवाई का झूठा दम किस तरह भरते हैं। इसी का परिणाम है कि श्वानों और बंदरों ने जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में एक वर्ष में लगभग सात हजार लोगों को काटकर घायल कर दिया। मतलब प्रतिदिन करीब 25 से 30 लोग जिला आरबीएम व अन्य अस्पताल में एंटी रैबीज के इंजेक्शन और अत्यधिक घायल लोग सीरम लगवाने पर मजबूर हुए। पशुपालन विभाग की 2012 की गणना के अनुसार जिले में करीब 27 हजार श्वान थे। अब बताया जा रहा है कि जिले में आवारा कुत्तों की सख्या 38 हजार से अधिक हो गई, जबकि शहर में ही 3400 से ज्यादा श्वान हैं।अत्यधिक काटने पर लगाते हैं सीरम
जिला अस्पताल में प्रतिदिन लगभग 15 से अधिक लोग श्वानों व बंदरों के काटने पर यहां आ रहे हैं। इस हिसाब से एक माह में करीब 500 लोग घायल हुए हैं। अस्पताल में कमर से नीचे काटने पर केवल इंजेक्शन लगाया जाता है, जबकि कमर से ऊपर या शरीर में अन्य जगह अत्यधिक बार काटने पर इंजेक्शन से पहले सीरम लगाया जाता है। यह उम्र के हिसाब से लगता है। इसके बाद पहले, तीसरे व सातवें दिन एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगाया जाता है।डेढ़ साल के बच्चे पर आवारा श्वानों ने किया हमला, भगाने पर भी पैर खींचकर ले जाने लगे साथ, देखें VIDEO
श्वानों के हमले
जनवरी-412फरवरी-393
मार्च-400
अप्रेल-256
मई-307
जून-297
जुलाई-374
अगस्त-209
सितंबर-205
अक्टूबर-232
नवंबर-265
दिसंबर-185