आयोजन की स्वागत समिति के संयोजक डॉ. अशोक सिंह सोलंकी ने बताया कि मरीजों की जांच और उपचार की प्रक्रिया बेहद व्यवस्थित है। प्रवेश और पंजीकरण से लेकर स्क्रीनिंग, रिफ्लेक्शन, डॉक्टर परामर्श, फार्मेसी, रेफरल और चश्मा वितरण तक पूरा क्रम लगभग 30 मिनट में पूरा हो जाता है।
यहां आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और एलोपैथिक चिकित्सा केंद्र लगाए गए हैं, ताकि आंखों के साथ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का भी निःशुल्क उपचार किया जा सके। ‘वीरमदेव’ चश्मा घर
चश्मा वितरण को सुगम बनाने के लिए ए, बी, सी, डी जैसे ब्लॉक बनाए गए हैं, ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके और समय की बचत हो। यहां अत्याधुनिक लेंस कटिंग मशीनों से, मरीजों की जांच के तुरंत बाद डॉक्टर के सुझाए गए नंबर के अनुसार चश्मा तैयार कर दिया जा रहा है। विशेष परिस्थितियों में, हाई पावर लेंस वाले चश्मे बेंगलुरु से मंगवाकर दिए जा रहे हैं। चश्मा घर में 50 सदस्यों की एक समर्पित टीम लगातार सेवा में लगी हुई है।
नेत्र कुंभ के मीडिया प्रभारी विजय अगवाल ने बताया कि इस बार मेले में 50 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है। इनमें राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात समेत वनवासी समाज, किसान और श्रमिक बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। इसी बड़े जनसमूह को ध्यान में रखते हुए यहां नेत्र महाकुंभ लगाया गया है।
नेत्र कुंभ में मेरी आंखों की अच्छी तरह से जांच के बाद मुझे निःशुल्क चश्मा दिया गया। आंखों में जो धुंधलापन दिखता था, वो अब चश्मा मिलने से राहत मिल गई। मेरे लिए घर बैठे गंगा आई जैसी बात है।
-सदीक खान, ब्रजपुरा, रामदेवरा निवासी
1- 2019 प्रयागराज : 2,02,020 लोगों की जांच, 1,55,210 को चश्मे वितरित, 374 नेत्र विशेषज्ञों ने सेवाएं दी, 55 दिन शिविर
2- 2021 हरिद्वार : 48,745 लोगों की जांच, 38,085 चश्मे वितरित, 120 नेत्र विशेषज्ञों ने सेवाएं दी, 45 दिन शिविर।
3- 2025 प्रयागराज : 2,37,964 लोगों की जांच, 1,63,652 चश्मे वितरित, 343 नेत्र विशेषज्ञों ने सेवाएं दी, 53 दिन शिविर।