scriptजहां बजनी थी भाई-बहन की शादी की शहनाई, वहां मातमी कोलाहल, घर से निकला भाई का जनाजा | Where the wedding shehnai of the sister was to be played, there was mourning noise; the brother's funeral procession left the house | Patrika News
बरेली

जहां बजनी थी भाई-बहन की शादी की शहनाई, वहां मातमी कोलाहल, घर से निकला भाई का जनाजा

जिस घर में कुछ ही दिनों बाद शहनाइयां बजने वाली थीं, उसी घर में अब मातम पसरा है। सीबीगंज के बंडिया गांव निवासी हसीन अंसारी परिवार की जिम्मेदारियों को निभाने के लिए महाराष्ट्र के पुणे में मेहनत-मजदूरी कर रहे थे, लेकिन जब उन्हें घर लौटकर छोटी बहन और छोटे भाई की शादी में शरीक होना था, तभी एक दर्दनाक हादसे ने उनकी जिंदगी छीन ली।

बरेलीMay 24, 2025 / 01:58 pm

Avanish Pandey

मृतक हसीन का फाइल फोटो (फोटो सोर्स: पत्रिका)

बरेली। जिस घर में कुछ ही दिनों बाद शहनाइयां बजने वाली थीं, उसी घर में अब मातम पसरा है। सीबीगंज के बंडिया गांव निवासी हसीन अंसारी परिवार की जिम्मेदारियों को निभाने के लिए महाराष्ट्र के पुणे में मेहनत-मजदूरी कर रहे थे, लेकिन जब उन्हें घर लौटकर छोटी बहन और छोटे भाई की शादी में शरीक होना था, तभी एक दर्दनाक हादसे ने उनकी जिंदगी छीन ली।

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हसीन की मौत की खबर जब बरेली स्थित उनके घर पहुंची तो खुशियों की जगह चीख-पुकार गूंज उठी। जिन कमरों में मेहमानों की रौनक होनी थी, वहां अब सिर्फ सन्नाटा और गम का माहौल है। 35 वर्षीय हसीन अंसारी पुणे में फर्नीचर का काम करते थे। शुक्रवार को वे बरेली आने की तैयारी में थे, क्योंकि 1 जून को बहन चमन और 2 जून को छोटे भाई सरताज की शादी तय थी।

बारिश से दुकान का सामान बचाते समय हुआ हादसा

शुक्रवार को बारिश से बचाव के लिए वे दुकान के सामान को ढकने के लिए तिरपाल डाल रहे थे, तभी करंट की चपेट में आकर उनकी मौके पर ही मौत हो गई। हसीन की मौत की खबर सुनते ही गांव में मातम छा गया। शादी की सारी तैयारियां थम गईं और परिवार के लोग बेसुध हो गए। हसीन के शव को एंबुलेंस से बरेली लाया जा रहा है। उम्मीद है कि रविवार दोपहर तक शव गांव पहुंच जाएगा। गांव के लोग भी इस हादसे से आहत हैं। किसी को यकीन नहीं हो रहा कि जिस घर में शादी की तैयारियां थीं, वहां अब जनाजा आएगा।

जिम्मेदारियों का बोझ कम उम्र में उठाया

हसीन पांच भाइयों में सबसे बड़े थे। बेहद कम उम्र में वे घर छोड़कर पुणे जा बसे थे ताकि परिवार की आर्थिक स्थिति को संभाल सकें। उन्होंने न सिर्फ खुद मेहनत की, बल्कि अपने तीन भाइयों को भी पुणे बुलाकर काम में लगाया। हसीन खुद विवाहित थे और उनके पांच छोटे बच्चे हैं। वे बच्चों की परवरिश के साथ-साथ पूरे परिवार का सहारा बने हुए थे। अब उनकी मौत के बाद परिवार का हर सदस्य गहरे सदमे में है, खासकर उनकी पत्नी और मासूम बच्चे जिनके सिर से पिता का साया उठ गया।

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