तीन दशक से भी पुराना है जमीन का विवाद
सज्जन कुमारी यादव ने म्युनिसिपल बोर्ड से राजेंद्रनगर स्थित प्लॉट संख्या 93D और 95D, कुल 7111.05 वर्ग गज जमीन की रजिस्ट्री कराई थी। नौ दिसंबर 1982 में उदयपुर सहकारी आवास समिति से इस जमीन का विक्रय अनुबंध किया था। बाद में 24 दिसंबर 1983 को आवास विकास ने जमीन के अधिग्रहण को लेकर अधिसूचना जारी की। 8 फरवरी 1984 को सज्जन कुमारी यादव ने यह जमीन (करीब 1500 वर्ग मीटर) सहकारी समिति को रजिस्ट्री कर दी। लेकिन इससे पूर्व, 1983 में आवास विकास परिषद भूमि के अधिग्रहण की अधिसूचना जारी कर चुका था।
मुआवजा न मिलने पर गये हाईकोर्ट
सज्जन कुमारी यादव को भूमि अधिग्रहण का मुआवजा नहीं मिला, जिसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। चार मई 2016 को हाईकोर्ट ने अपने आदेश में माना कि अधिग्रहित भूमि का मुआवजा दिया जाना चाहिए, लेकिन भूमि उन्हें उपभोग के लिए वापस नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा।
मृत्यु के बाद विवाद गहराया
2010 में सज्जन कुमारी यादव की मृत्यु के बाद उनके पुत्र विक्रम सिंह और विभूति सिंह ने इस भूमि से जुड़ी पावर ऑफ अटॉर्नी सुभाषनगर में सिविल लाइंस की रहने वाली सपा नेता सुनीता यादव के बेटे विशाल चौधरी को सौंप दी। इसके बाद विशाल चौधरी ने प्रेमनगर थाने में सुनीता चावला, अमित अग्रवाल, बाबूराम, महेश, सोनू यादव, प्रमोद, नेतराम गंगवार, भोला वाल्मीकि, राजेश वाल्मीकि, ठाकुर अमित राज सिंह, किशन बाबू सक्सेना समेत अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी व अन्य धाराओं में 14 मई 2025 को केस दर्ज कराया।
कालोनी के लोगों ने किया विरोध
भारत सेवा ट्रस्ट पहुंचे कालोनी के लोगों ने सपा नेता के बेटे विशाल चौधरी पर आरोप लगाया कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश को छिपाकर गुमराह कर हमारे खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। कोर्ट से एकपक्षीय आदेश लिया गया। एक ही दिन में स्टे हो गया, हमें सुनवाई का भी मौका नहीं दिया गया। इसके बाद साठगांठ कर विवादित भूमि पर गुपचुप तरीके से निर्माण कराया जा रहा है और रातों-रात बाउंड्री बना दी गई। उन्होंने गवर्नर से हस्तक्षेप की मांग करते हुए कार्रवाई की गुहार लगाई। जिस पर गवर्नर संतोष गंगवार ने पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को फोन कर सपा नेता द्वारा कराये जा रहे अवैध निर्माण की जांच कर कानूनी कार्रवाई को कहा है।
सपा नेता बोले, जमीन पर हमारा मालिकाना हक
सपा नेता सुनीता यादव के पति राजेंद्र सिंह ने बताया कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर वह शासन में गये थे। जिस पर राज्यपाल ने अधिसूचना जारी कर अधिग्रहीत जमीन हमें वापस कर दी। उत्तर प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव पी गुरु प्रसाद ने शासनादेश जारी किया है। जिसमें हमारी जमीन आवास विकास येाजना से लेकर हमें वापस की गई है।