यह घोटाला उस वक्त सामने आया जब 22 जनवरी 2025 को कौशल विकास मंत्रालय के अधिकारियों ने देवभूमि प्राइवेट आईटीआई पर अचानक छापा मारा। जांच के दौरान सामने आया कि संस्थान ने जिन छात्रों की उपस्थिति आधार आधारित बायोमैट्रिक सिस्टम (AEBAS) पर दर्ज की थी, वे छात्र मौके पर मौजूद ही नहीं थे। जांच में दो बैच 2840676 और 2840651 के नाम सामने आए, जिनमें दर्ज 24 छात्रों की उपस्थिति फर्जी पाई गई।
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जांच में यह भी पता चला कि संस्थान ने बेहद सीमित संख्या में वास्तविक छात्र दाखिल किए थे, जबकि बड़ी संख्या में फर्जी नाम जोड़कर एनएसडीसी से सरकारी फंड ले लिया। आरोप है कि संस्थान ने जाली दस्तावेज तैयार कर छात्रों की फर्जी प्रोफाइल बनाई और उनके नाम पर फर्जी उपस्थिति दर्ज कर करोड़ों की रकम हड़प ली। एनएसडीसी के राज्य समन्वयक दीपक चतुर्वेदी की ओर से 6 जून 2025 को बिथरी चैनपुर थाने में शिकायत दी गई थी। शिकायत में बताया गया कि देवभूमि एजुकेशनल सोसायटी और देवभूमि आईटीआई के संचालक ने मिलकर साजिशन यह घोटाला रचा। आधार बायोमैट्रिक उपस्थिति में हेराफेरी की गई और सरकारी पैसे की बंदरबांट हुई।
नोटिस का जवाब न मिलने पर की गई कार्रवाई
इससे पहले 20 मई को एनएसडीसी ने संस्थान को कारण बताओ नोटिस भी भेजा था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। आखिरकार संस्था ने थाने में तहरीर देकर देवभूमि आईटीआई के संचालक के खिलाफ केस दर्ज कराया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। एनएसडीसी ने मांग की है कि इस मामले में कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि कौशल विकास जैसी महत्वपूर्ण योजना की विश्वसनीयता बनी रहे और भविष्य में कोई अन्य संस्था इस तरह का फर्जीवाड़ा न कर सके।