सुभाषनगर थाना क्षेत्र के करगैना निवासी अधिवक्ता हरीश आजाद का आरोप है कि वह एक पुराने मामले की पत्रावली देखने कोर्ट कक्ष पहुंचे थे। काफी समय से फाइल न मिलने की शिकायत करने पर, कार्यालय के बाबू संजय कुमार समेत तीन लोगों ने उन्हें गिराकर पीटा और जातिसूचक शब्द कहे। अधिवक्ता का कहना है कि साथी वकीलों उमंग रावत, अनूप सक्सेना, अंकित गुप्ता और आदित्य सक्सेना ने किसी तरह बीच-बचाव कर जान बचाई।
उधर, बाबू संजय कुमार ने पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि अधिवक्ता हरीश आजाद छह अन्य साथियों के साथ बिना अनुमति कार्यालय में घुसे और अनाधिकृत रूप से फाइलों का मुआयना करने लगे। विरोध करने पर दरवाजा बंद कर गला दबाया और पत्रावलियां लूट ले गए। इस दौरान उनके सहयोगी रजत कुमार को भी पीटा गया। इंस्पेक्टर अमित पांडेय ने पुष्टि की कि दोनों पक्षों की शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
बार एसोसिएशन का विरोध
बार एसोसिएशन के सचिव दीपक पांडेय ने बाबू की तहरीर को गलत करार दिया। उन्होंने कहा कि हत्या की कोशिश और लूट जैसे गंभीर आरोपों की कहानी गढ़ी गई है। नियमानुसार बाबू को अधिवक्ता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने से पहले जिला जज और उच्च न्यायिक अधिकारियों को अवगत कराना चाहिए था, लेकिन सीधे गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराना नियमविरुद्ध है। उन्होंने चेतावनी दी कि बार इस पर खुलकर विरोध करेगा।
कोर्ट परिसर में दिनभर गहमागहमी
शनिवार को पूरे दिन कोर्ट परिसर में इस घटना को लेकर खलबली रही। बार अध्यक्ष मनोज कुमार हरित और सचिव दीपक पांडेय अन्य पदाधिकारियों के साथ अदालतों का दौरा करते रहे। उनका कहना है कि कई बाबू कोर्ट कक्षों में कुर्सी तोड़कर बाहरी लोगों से काम कराते हैं, जिसका बार पहले से विरोध करता आया है। शनिवार को ऐसे लोगों को चिन्हित भी किया गया। बार ने साफ किया कि अब अदालतों में बाहरी तत्वों और नियम तोड़ने वालों के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी।