सत्यापन के बाद भी जारी लापरवाही
शहरभर में चल रहे नाला सफाई अभियान की हकीकत जानने के लिए नगरायुक्त को खुद मौके पर जाकर सत्यापन करना पड़ा। कई जगहों पर नालों से निकाली गई सिल्ट को न ही उठाया गया और न ही समय पर निस्तारित किया गया। इससे यह सिल्ट बारिश के दौरान दोबारा नालों में लौट जाती है और जलभराव का कारण बनती है।सड़क पर सिल्ट, हादसों का खतरा
नगर निगम के कर्मचारी सफाई के दौरान नालों से सिल्ट निकाल कर सड़क किनारे छोड़ देते हैं, जिससे कीचड़ फैल जाता है। कई इलाकों में सिल्ट का अंबार लग गया है। बारिश के दौरान यह सिल्ट वापस नालों में पहुंच जाती है या सूखने पर ठेकेदार खाली प्लॉटों को भरने के लिए इसे बेच रहे हैं।निर्देशों का उल्लंघन, नगरायुक्त की चेतावनी
नगरायुक्त संजीव कुमार मौर्य ने स्पष्ट आदेश दिया था कि सफाई के तुरंत बाद सिल्ट उठाई जाए, लेकिन ठेकेदारों ने निर्देशों को नजरअंदाज किया। कई जगहों पर नोटिस देने के बावजूद हालात जस के तस बने हुए हैं। नगरायुक्त ने कहा है:स्वास्थ्य विभाग अलर्ट, 20 जून अंतिम तारीख
नगर निगम ने 20 जून 2025 तक सभी प्रमुख नालों की तल्लीझाड़ सफाई पूरी करने का लक्ष्य रखा है। अप्रैल से शुरू हुए अभियान के बावजूद मई के अंत तक भी अधिकांश नालों की हालत नहीं सुधरी है। गंदगी और सिल्ट के ढेर अभी भी जगह-जगह दिखाई दे रहे हैं।हर साल करोड़ों खर्च, नतीजा शून्य