मुख्य अतिथि मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल ने कहा कि नई भवन उपविधियां जनता के लिए उपयोगी और सुविधाजनक होंगी। इनसे न सिर्फ समय की बचत होगी बल्कि पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि अगर किसी उद्यमी या आम नागरिक को इन प्रावधानों से जुड़ी कोई समस्या होती है तो उसे शासन स्तर तक पहुंचाया जाएगा।
बीडीए उपाध्यक्ष मनिकंडन ए ने विस्तृत प्रेजेंटेशन के जरिए भवन उपविधियों की प्रमुख बातों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अब 500 वर्गमीटर तक के आवासीय और 200 वर्गमीटर तक के व्यावसायिक भूखंडों पर निर्माण कार्य के लिए नक्शा पास कराना अनिवार्य नहीं होगा। इसके लिए मात्र एक रुपये में ऑनलाइन पंजीकरण कराया जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि डी-रेगुलेशन व्यवस्था के अंतर्गत 300 वर्गमीटर तक के प्लॉट पर बनाए जाने वाले व्यक्तिगत आवासों के लिए, यदि वे 9 मीटर या अधिक चौड़ी सड़क पर स्थित हों और तकनीकी व्यक्ति द्वारा प्रमाणित नक्शा उपलब्ध हो, तो वह स्वचालित रूप से अनुमोदित माना जाएगा।
साथ ही, सेवा क्षेत्र से जुड़े प्रोफेशनल्स—जैसे डॉक्टर, वकील, आर्किटेक्ट और सीए—अपने घर के 25 प्रतिशत एफएआर तक का उपयोग अपने कार्यालय, नर्सरी, क्रेच या होमस्टे के लिए कर सकते हैं, बशर्ते कि पर्याप्त पार्किंग की व्यवस्था हो। इसके लिए नक्शा अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी। कार्यशाला में 12 अन्य प्रमुख बिंदुओं पर भी विस्तार से चर्चा की गई।
कार्यक्रम में आईआईए अध्यक्ष मयूर धीरवानी, सीसीआई अध्यक्ष राजीव सिंघल, लघु भारती अध्यक्ष आशुतोष शर्मा, आरएमए से मनीष शर्मा, आरके टेक के सौरभ अग्रवाल, क्रीड़ाई के सुनील गुप्ता और एलएसए से पारुष अरोड़ा समेत तमाम उद्यमी और व्यवसायी मौजूद रहे।