जांच में गड़बड़ी सामने आने के बाद मनोज कुमार ने एडीएम, एसडीएम सदर प्रमोद कुमार, न्यायालय के पेशकार और अहलमद के खिलाफ विभागीय और दंडात्मक कार्रवाई की संस्तुति की है।
औचक निरीक्षण में सामने आई हकीकत
मनोज कुमार ने 26 अप्रैल को एसडीएम सदर न्यायालय का औचक निरीक्षण किया। उस वक्त एसडीएम प्रमोद कुमार समाधान दिवस में व्यस्त थे, लिहाजा तहसीलदार भानुप्रताप सिंह वहां मौजूद रहे। निरीक्षण के दौरान उन्हें कई वादों की प्रार्थना पत्रों की फाइलें मिलीं, जिनमें से कोई भी RCMS पोर्टल पर दर्ज नहीं थीं।
दर्ज न किए गए मामले
निरीक्षण में यह सामने आया कि निम्नलिखित वाद पोर्टल पर दर्ज नहीं थे: धनदेवी गंगवार बनाम निसार अहमद रामाशंकर बनाम उत्तर प्रदेश सरकार श्याम बिहारी पटेल बनाम कालीचरन / रुद्राणी देवी एटीसी इन्फ्राटेक बनाम जितेन्द्र प्रताप सिंह नीरज सक्सेना बनाम कीर्ति सक्सेना गंगाराम बनाम राजकुमारी
इत्यादि कुल 15 से अधिक मामले RCMS पर अपलोड नहीं किए गए थे।
प्रमाणपत्र की वैधता पर सवाल
अपर आयुक्त ने बताया कि एडीएम प्रशासन द्वारा 5 अप्रैल को जारी प्रमाणपत्र में सभी वादों के पोर्टल पर दर्ज होने का दावा किया गया था, जो निरीक्षण के दौरान गलत साबित हुआ। उन्होंने रिपोर्ट में लिखा कि यह प्रमाणपत्र बिना निरीक्षण जारी किया गया है, जो राजस्व परिषद के स्पष्ट आदेशों की अवहेलना है।
कार्रवाई की संस्तुति
अपर आयुक्त न्यायिक ने एडीएम प्रशासन पूर्णिमा सिंह और ऑडिटकर्ता अधिकारी के खिलाफ कड़ी विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की है। साथ ही एसडीएम सदर प्रमोद कुमार, पेशकार और अहलमद को भी दोषी मानते हुए उनके विरुद्ध भी कार्रवाई का प्रस्ताव रिपोर्ट के साथ राजस्व परिषद सचिव, बरेली के कमिश्नर और जिलाधिकारी को भेजा है।
दोबारा जांच का आदेश
मनोज कुमार ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर 25 अप्रैल को भेजे गए सभी प्रमाणपत्रों की दोबारा जांच कराने और सही प्रमाणपत्र उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है, ताकि परिषद को वास्तविक स्थिति से अवगत कराया जा सके।