उप वन संरक्षक अनिल यादव ने बताया कि वन्यजीव गणना 2025 का आयोजन किया गया था। इसका उद्देश्य क्षेत्र में वन्यजीवों की वास्तविक स्थिति का वैज्ञानिक आंकलन करना था, ताकि प्रभावी संरक्षण रणनीति बनाई जा सके( वन्यजीव गणना के दौरान तेन्दुआ, रीछ, नीलगाय, काला हिरण, तथा गिद्ध जैसी संरक्षण के लिए संवेदनशील प्रजातियों की उपस्थिति दर्ज की गई। जलस्रोत आधारित गणना ने यह स्पष्ट किया कि क्षेत्र में वन्यजीवों को पर्याप्त पानी, आवास और आच्छादन उपलब्ध है। वन क्षेत्र की पारिस्थितिकी जैवविविधता की ²ष्टि से समृद्ध है। पत्रिका
पहले दिन कैमरे में कैद हुआ पैंथर गऊघाट. शेरगढ़ अभयारण्य में चल रही वन्यजीव गणना के पहले ही दिन विभाग द्वारा लगाए गए ट्रैप कैमरे में पैंथर (तेन्दुआ) की तस्वीर कैद हुई। इस ²श्य के सामने आने के बाद वन विभाग के कर्मियों में खासा उत्साह देखा गया। इसे गणना कार्य की दिशा में बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। वन विभाग द्वारा गणना के लिए अभयारण्य के प्रमुख जलस्रोतों, पगडंडियों व वन्यजीव गतिविधि वाले क्षेत्रों में ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं। पहले ही दिन पैंथर की उपस्थिति दर्ज होना विभाग की सतत निगरानी और रणनीति की सफलता को दर्शाता है।
शेरगढ़ अभयारण्य के वन अधिकारी जितेन्द्र खटीक ने बताया कि गणना के दौरान पैंथर की उपस्थिति कैमरे में स्पष्ट रूप से दर्ज हुई है। यह इस बात का प्रमाण है कि शेरगढ़ क्षेत्र जैव विविधता के लिहाज से समृद्ध है। अन्य वन्यजीवों की भी गतिविधियां कैमरों में रिकॉर्ड हो रही हैं, जिससे क्षेत्र की वन्यजीव संरचना को समझने में मदद मिल रही है। यह गणना पूरी पारदर्शिता और वैज्ञानिक विधि से की जा रही है। वन अधिकारी ने आगे बताया कि इस अभियान के अंतर्गत पिछले 2 महीनों से 25 केमेरा ट्रेप की मदद से वन्यजीवों की गतिविधियां रिकार्ड की जा रही हैं। अब तक पेंथर,सियार, नेवला, जंगली खरगोश,ङ्क्षचकारा, जंगली सुअर,सेही, जरख,लोमड़ी, भेडिय़ा, ङ्क्षकग वल्चर, ब्लैक हैडेड वल्चर, लांग बिल्ड वल्चर ,मगरमच्छ सहित कई वन्यजीवों की उपस्थिति भी कैमरों में दर्ज हो चुकी है। अभयारण्य क्षेत्र में 8 पेंथर ,30 से अधिक लकड़बग्घा, सैंकडों सियार हैं।
जल्द आएंगे चीते, प्रेबेस बढ़ा रहे शेरगढ़ में जल्द ही अफ्रीकी चीतों को शिफ्ट करने के उद्देश्य से उनके खाने के प्रे-बेस बढाने के लिए 2 बड़े लेपर्ड प्रूफ हेर्बीवर एनक्लोजर बनाए जाएंगे। इनमें स्थानीय शाकाहारी जीवों के साथ उपलब्धता के आधार पर चीतल एवं साम्भर को भी बाहर से लाकर छोड़ा जाएगा।
राज्य सरकार द्वारा लगभग प्रत्येक जिले एवम सेंचुरी में हेर्बीवर एनक्लोजर बनाने की घोषणा की गई है ,जिनके लिए कई जिलों को बजट भी आवंटित कर दिया गया है। इन एनक्लोजर को बनाने का उद्देश्य मांसाहारी जीवो के लिए प्रे-बेस बढ़ाना होता है। इन एनक्लोजर को ऐसे डिजाइन किया जाता है कि इसमें ना ही तो कोई वन्यजीव घुस सकता है और ना ही स्वेच्छा से बाहर निकल सकता है ,इसे लेपर्ड प्रूफ बनाने के लिए 8 से 12 फिट तक कि जालीनुमा फेंङ्क्षसग तैयार की जाती है। इसे एक गेट से बंद कर दिया जाता है। इसी गेट से बाहर से लाए शाकाहारी जीवो को अंदर छोड़ाजाता है। उन्हें सुरक्षा के साथ प्राकृतिक सुविधाएं जिनमें हरा चारा, पसंदीदा घास, पानी आदि सुरक्षा मुहैया करवाई जाती है। जब ये अपने आप को सहज एवम सुरक्षित महसूस करते है तो अपनी वंश वृद्धि को तीव्र गति से बढ़ाते है। जब इनकी संख्या एनक्लोजर के एरिया के हिसाब से पर्याप्त हो जाती है तब इन्हें खुले जंगल में छोड़ दिया जाता है। इस प्रकार से मांसाहारी वन्य जीवों को भी खाने के लिए पर्याप्त भोजन मिल जाता है।
यह है हेर्बीवर एनक्लोजर खंडेला. करवारी खंडेला नाका में वन विभाग की वन्य जीव गणना में वन विभाग के अधिकारी सुबह से लेकर रात्रि तक तैनात रहे। फॉरेस्टर शिवदयाल ङ्क्षसह ने बताया कि यह 12 जून तक चली। इस दौरान वन्य जीवों की गिनती की जा रही है।
कुल वन्यजीवों की अनुमानित संख्या 7632
स्तनधारी
अनुमानित कुल संख्या – 4356
- काला हरिण- 1286
- नीलगाय – 1058
- चिंकारा – 640
- जंगली सुअर – 603
- लंगूर – 733
- सियार, लोमड़ी] गीदड़, भालू, तेन्दुआ आदि की भी अच्छी उपस्थिति दर्ज की गई।
पक्षियों की प्रमुख प्रजातियां
अनुमानित कुल संख्या – 1548 - मोर – 1181
02 सारस – 108 - जंगली मुर्गा – 16
- गिद्ध की विभिन्न प्रजातियाँ 248
सरीसृप प्रमुख प्रजातियां
कुल संख्या – 50 - मगरमच्छ 50