क्या है पूरा मामला?
गुरुवार को X (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट तेजी से वायरल हुई, जिसमें डॉ. श्वेता शर्मा नाम की यूजर ने दावा किया कि मंजू शर्मा को 18.5 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया है। इस पोस्ट के साथ एक फर्जी स्क्रीनशॉट भी लगाया गया, जिससे यह साबित करने की कोशिश की गई कि यह खबर किसी आधिकारिक या मीडिया स्रोत से है। पोस्ट के वायरल होते ही कुमार विश्वास के प्रशंसक समूह ‘विश्वासम्’ के सदस्य अमर बाजपेयी ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई और बाराबंकी के घुंघटेर थाने में शिकायत दर्ज कराई। इसके आधार पर पुलिस ने डॉ. श्वेता शर्मा के खिलाफ आईटी एक्ट और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।
कौन हैं मंजू शर्मा?
मंजू शर्मा राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की सदस्य हैं। मूल रूप से अजमेर की रहने वाली मंजू शर्मा ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से पीएचडी की है और कॉलेज लेक्चरर की परीक्षा पास कर भरतपुर के एमएसजे पीजी गवर्नमेंट कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्य कर चुकी हैं। उनकी प्रतिष्ठा शिक्षा और प्रशासनिक जगत में काफी सम्मानजनक मानी जाती है। ऐसे में उन पर लगाए गए आरोप और वायरल पोस्ट ने न सिर्फ उनके, बल्कि उनके परिवार की छवि को भी प्रभावित करने की कोशिश की है।
अमर बाजपेयी ने FIR में क्या लिखा?
अमर बाजपेयी ने अपनी FIR में साफ लिखा है कि – “डॉ. श्वेता शर्मा ने एक झूठा और भ्रामक पोस्ट किया, जिसमें लिखा गया कि मंजू शर्मा 18.5 लाख की रिश्वत लेते पकड़ी गई हैं। साथ ही एक फर्जी स्क्रीनशॉट भी लगाया गया है। इस पोस्ट का उद्देश्य केवल कुमार विश्वास और उनके परिवार की प्रतिष्ठा को धूमिल करना है। यह पोस्ट पूरी तरह से झूठी, बेबुनियाद और मानहानिकारक है।” उन्होंने आगे लिखा कि, “कुमार विश्वास हिंदी साहित्य, संस्कृति और श्रीराम की विचारधारा को प्रचारित-प्रसारित करने वाले कवि हैं, और ऐसे व्यक्ति पर इस तरह के झूठे आरोप से करोड़ों प्रशंसकों की भावनाएं आहत हुई हैं।”
पुलिस की कार्रवाई और जांच
घुंघटेर थाने के इंस्पेक्टर बेचू सिंह यादव ने जानकारी दी कि डॉ. श्वेता शर्मा के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि यह मामला साइबर अपराध से जुड़ा है। इसलिए अब इसकी जांच साइबर पुलिस टीम को सौंप दी गई है। IT एक्ट और अन्य धाराओं के तहत कार्रवाई की जा रही है।”
पोस्ट को बताया सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वाला
शिकायतकर्ता अमर बाजपेयी ने यह भी कहा कि, “यह पोस्ट न केवल झूठी है, बल्कि सामाजिक सौहार्द को प्रभावित करने वाली भी है। इससे साहित्यिक और सामाजिक जगत में खलल पड़ सकता है। पुलिस को इस मामले में कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि ऐसे भ्रामक पोस्ट करने वालों को सबक मिले।”
कुमार विश्वास की अब तक की प्रतिक्रिया?
इस मामले को लेकर कुमार विश्वास की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया अभी तक सामने नहीं आई है। हालांकि उनके समर्थकों ने सोशल मीडिया पर अपना समर्थन जताया है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
क्या हो सकता है आगे?
अब जबकि मामला पुलिस और साइबर सेल के पास पहुंच चुका है, ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि फर्जी पोस्ट फैलाने वालों की पहचान और इलेक्ट्रॉनिक सबूतों के आधार पर उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अगर आरोप साबित होते हैं तो डॉ. श्वेता शर्मा को जेल और जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।