Karnataka के मेंगलूरु के लेडी गोशेन अस्पताल में सामने आए एक ऐसे ही मामले में अनुभवी चिकित्सकों ने हीमोफीलिया (वॉन विलेब्रांड बीमारी) Von Willebrand disease पीड़ित एक गर्भवती महिला का सुरक्षित सिजेरियन प्रसव कराया। जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दुर्गाप्रसाद एम. आर. ने बताया कि महिला हीमोफीलिया Hemophilia के साथ पैदा हुई थी। वह बचपन से ही निजी अस्पतालों में इलाज करवा रही थी। हीमोफीलिया, फैक्टर 8 की कमी से पहचाना जाता है, जो रक्त के थक्के जमने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उचित प्रबंधन के बिना, रक्तस्राव के प्रकरण गंभीर और जानलेवा हो सकते हैं। फैक्टर 8 की कमी को दूर करने के लिए रिप्लेसमेंट थेरेपी की जरूरत पड़ती है। यह महंगा और आसानी से उपलब्ध नहीं है।
डॉ. दुर्गाप्रसाद के अनुसार प्लाज्मा-डिराइव्ड फैक्टर-8 इंजेक्शन महंगे हैं, और कई परिवारों को निरंतर उपचार का खर्च उठाना मुश्किल लगता है। गर्भावस्था के दौरान, महिला का परिवार आवश्यक दवा की उच्च लागत वहन करने में असमर्थ था। इसके कारण उसे गंभीर रक्तस्राव या मातृ मृत्यु का खतरा था। इस गंभीर स्थिति में, चिकित्सा दल ने उसकी स्थिति की गंभीरता को समझाते हुए परामर्श दिया था।
इन बाधाओं और जोखिम के बावजूद, महिला ने मां बनने का दृढ़ निश्चय किया। वेनलॉक सरकारी अस्पताल ने रक्त आपूर्ति में कोई कमी नहीं रखी। स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने महिला के लिए आवश्यक फैक्टर-8 इंजेक्शन सुनिश्चित की। निगरानी के लिए प्रसव के 20 दिन पहले महिला को अस्पताल में भर्ती किया गया।
डॉ. अनुपमा राव, डॉ. सिरिगणेश, डॉ. नमिता, डॉ. सुमीश राव और डॉ. रंजन सहित विशेषज्ञ प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञों की सर्जिकल टीम ने एनेस्थीसिया विशेषज्ञों के साथ मिलकर सफलतापूर्वक सिजेरियन प्रसव कराया। दस दिनों तक पोस्ट ऑपरेटिव देखभाल के बाद महिला अपने बच्चे के साथ सुरक्षित घर लौट चुकी है।