भरवेली पुलिस ने बताया कि आरोपी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए अलग-अलग स्थानों पर संचालित 6 कियोस्क सेंटरों का उपयोग करता था। इनके बैंक खातों को पुलिस ने फिलहाल फ्रीज कर दिया है। मामले में मूल शिकायत मुरैना निवासी रामकुमार गुर्जर से जुड़ी है, जिससे 1.95 लाख लेकर उसे फर्जी वनरक्षक की नौकरी दिलाने और ड्यूटी पर भेजने का प्रयास किया था। गिरफ्तार किए पहले आरोपी सुमित ब्रह्मे की निशानदेही पर ही पुलिस ने सहारा फोटो कॉपी सेंटर के संचालक को गिरफ्तार किया है।
जांच के लिए तीन टीम गठित
थाना प्रभारी ने बताया कि इस फर्जीवाड़े के पीछे संगठित गिरोह की आशंका है। मामले की गहन जांच के लिए तीन अलग-अलग पुलिस टीमों का गठन किया गया है। ये टीमें अन्य राज्यों में जाकर तथ्यों की पुष्टि करेंगी और रैकेट से जुड़े अन्य आरोपियों की तलाश करेंगी। पुलिस ने अपील की है कि यदि अन्य लोग भी इसी तरह के झांसे में आए हैं तो वे आगे आकर अपनी शिकायत दर्ज कराएं, ताकि दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा सके।
फर्जी नियुक्ति पत्र और आईडी बनाने वाला गिरफ्तार
वन विभाग में फर्जी नियुक्ति मामला मुरैना के रामकुमार गुर्जर से जुड़ा है। आरोपी सुमित ने 1.95 लाख लेकर रामकुमार को फर्जी वनरक्षक की नौकरी दिलाई और ट्रेनिंग दिलाकर जंगल में ड्यूटी पर भेज दिया। एक माह बाद वेतन मिलने की बारी आई तब जाकर मामले का खुलासा हुआ।
कई विभागों में झांसा देने का प्रमाण
भरवेली थाना प्रभारी संजय ऋषिश्वर ने बताया कि यह मामला एक छोटे स्तर की धोखाधड़ी नहीं है, बल्कि इसकी कड़ियां उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र तक जुड़ी प्रतीत हो रही हैं। आरोपी सुमित ब्रह्मे के पास से कई दस्तावेज, फर्जी नियुक्ति पत्र, सीलें और मुहरें बरामद हुई हैं, जिससे यह पता चला है कि वह वन विभाग के अलावा सीआइएसएफ, पीएचई और जल निगम जैसे विभागों में भी नौकरी लगवाने का झांसा देता था।
फर्जी नियुक्ति पत्र थमाकर पीड़ित का ऐसे फंसाया
पुलिस के अनुसार, आरोपी सुमित ने पीड़ित को फर्जी नियुक्ति पत्र थमाकर जत्ता व भंडेरी बीट का कार्यालय दिखाया और कहा कि उसकी ड्यूटी यहीं लगेगी। यहां वनरक्षक के सरकारी आवास पर ताला लगा मिला, जिसे देखकर पीड़ित को भ्रम हुआ कि वह जल्द जॉइनिंग कर लेगा। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का मुआयना किया है।