भारत में नहीं दिखाई देगा सूर्यग्रहण
इस साल का दूसरा
सूर्यग्रहण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फिजी, न्यूजीलैंड और अटलांटिक महासागर के कुछ हिस्सों में ही दिखाई देगा। चूंकि भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा इसलिए यहां इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। सूतक काल वह समय होता है जब किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य पर रोक लग जाती है।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से प्रभाव
हालांकि यह सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसका असर राशियों और वातावरण पर पड़ सकता है। कुछ राशियों के लिए यह समय मानसिक तनाव या निर्णयों में असमंजस का हो सकता है।
किन राशियों पर पड़ेगा असर?
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीश व्यास के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पड़ने वाला सूर्यग्रहण शुभ संकेत नहीं माना जाता। यह ग्रहण जिन देशों या स्थानों पर दिखाई देगा, वहां के लोगों पर इसका प्रभाव ज्योतिषीय रूप से खास रहेगा। उनका कहना है कि यह सूर्यग्रहण मेष, वृषभ, कर्क, सिंह, कन्या, धनु, मकर और कुंभ राशि के जातकों के लिए कुछ नकारात्मक परिणाम ला सकता है। वहीं दूसरी ओर, मिथुन, तुला, वृश्चिक और मीन राशि के लोगों के लिए यह ग्रहण फायदेमंद और शुभ फलदायक सिद्ध हो सकता है।
ज्योतिष परंपराओं के अनुसार, जिस स्थान पर सूर्यग्रहण दिखाई नहीं देता वहां इसका प्रभाव कम माना जाता है। इसी आधार पर भारत में इसका ज्योतिषीय असर तुलनात्मक रूप से हल्का माना जा रहा है।
स्वास्थ्य और जीवनशैली पर प्रभाव
सूर्यग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की परंपरा है। हालांकि भारत में यह विजिबल नहीं होगा फिर भी कई लोग एहतियात बरतते हैं। भोजन से संबंधित मान्यताओं में यह कहा गया है कि ग्रहण के दौरान खाना न खाएं, कुछ लोग तुलसी डालकर पानी पीने की सलाह देते हैं। बुजुर्ग और बीमार लोगों को उपवास करने की जरूरत नहीं होती। इस समय सूखे मेवे, सात्विक और हल्का भोजन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना जाता है।
धार्मिक कार्यों पर नहीं होगा कोई असर
चूंकि सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए मंदिरों के कपाट बंद नहीं होंगे और पूजा-पाठ पर कोई असर नहीं होगा। लोग अपने नियमित धार्मिक कार्य बिना किसी रोक-टोक के कर सकते हैं। भले ही यह सूर्यग्रहण भारत विजिबल नहीं होगा परंतु इसका महत्व खगोलीय और ज्योतिषीय दृष्टि से बना रहेगा। भारतवासियों को डरने की नहीं बल्कि समझदारी और विज्ञान के साथ परंपराओं का पालन करने की जरूरत है। ग्रहण के दौरान अगर कोई सावधानी रखना चाहे तो वह वैकल्पिक है अनिवार्य नहीं।
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी ज्योतिषीय मान्यताओं, धार्मिक विश्वासों और सार्वजनिक स्रोतों पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी देना है। पत्रिका डॉटकॉम इसकी वैज्ञानिक पुष्टि का दावा नहीं करता है।)