7 सितंबर 2025: साल का दूसरा चंद्र ग्रहण
यह चंद्र ग्रहण भाद्रपद मास की शुक्ल पूर्णिमा को लगेगा। ग्रहण रात 9:57 बजे आरंभ होगा।इसकी समाप्ति 1:27 बजे होगी। इस ग्रहण की अवधि 3 घंटे 30 मिनट रहने वाली है। यह ग्रहण भारत सहित एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, अमेरिका और प्रशांत महासागर के कई हिस्सों में दिखाई देगा। भारत में यह पूर्ण रूप से नजर आने के कारण इसका सूतक काल दोपहर 12:57 बजे से प्रारंभ होकर ग्रहण समाप्ति तक रहेगा। इस ग्रहण का खगोलीय स्थान कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र रहेगा। ज्योतिष अनुसार, इस नक्षत्र और राशि में जन्मे जातकों पर विशेष प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए उन्हें सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
21 सितंबर 2025: दूसरा सूर्य ग्रहण
साल का दूसरा सूर्य ग्रहण आश्विन मास की अमावस्या को रात 10:59 बजे से शुरू होकर 22 सितंबर की सुबह 3:23 बजे तक रहेगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए यहां सूतक मान्य नहीं होगा। इसे न्यूजीलैंड, फिजी, अंटार्कटिका और ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी हिस्सों में देखा जा सकेगा। यह ग्रहण कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में घटित होगा, और इस दौरान सूर्य, चंद्र और बुध एक साथ कन्या राशि में रहेंगे। वहीं शनि देव की दृष्टि मीन राशि से इन पर पड़ेगी, जो खगोलीय दृष्टि से महत्वपूर्ण योग बनाता है।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से प्रभाव
वराहमिहिर की बृहत्संहिता के अनुसार, जब एक ही माह में सूर्य और चंद्र ग्रहण आते हैं, तो प्राकृतिक आपदाओं, भूकंप, बाढ़, तूफान और राजनीतिक अस्थिरता के योग बनते हैं। इतिहास गवाह है कि 1979 में ऐसे ही दो ग्रहण होने पर गुजरात के मोरबी में डैम टूटने से बड़ी तबाही हुई थी। इसी प्रकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ग्रहण का असर राजनीतिक तनाव, युद्ध की स्थितियों, आर्थिक उतार-चढ़ाव और सामाजिक अस्थिरता के रूप में दिखाई दे सकता है।
क्या न करें ग्रहण के दौरान
इस दौरान मंदिरों में पूजा-पाठ और मूर्तियों का स्पर्श न करें। कैंची, सुई-धागे और धारदार वस्तुओं का उपयोग न करें। यात्रा करने और बाहर जाने से बचें। गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी रखनी चाहिए। ग्रहण खत्म होने के बाद ही ताजा भोजन करना चाहिए।
उपाय और पूजा
ग्रहण के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए ज्योतिषाचार्या नीतिका शर्मा ने ये उपाय बताए है। इस समय आप हनुमानजी की पूजा और हनुमान चालीसा का पाठ करें। महामृत्युंजय मंत्र और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। ग्रहण के बाद स्नान, दान और मंदिरों का शुद्धिकरण करें। भगवान शिव और माता दुर्गा की आराधना करें।