स्वास्थ्य केंद्र पर रोजाना लगभग 700 ओपीडी मरीज आते हैं। डिलीवरी और आपातकालीन मामलों के साथ ही आसपास के दर्जनों गांवों से लोग इलाज के लिए यहीं पहुंचते हैं। कम डॉक्टरों की वजह से मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर पालिका बनने के बाद भी हालात नहीं बदले।
अस्पताल की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है और सुविधाएं नाममात्र की हैं। कई बार क्षेत्रीय नेताओं और उच्च अधिकारियों को अवगत कराने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। ग्रामीणों और कस्बे के लोगों ने बताया कि डॉक्टरों की अनुपस्थिति और
अव्यवस्था के कारण मरीजों को निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है, जिससे गरीब तबके पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है। लोगों की मांग है कि जल्द से जल्द मालाखेड़ा सीएचसी में डॉक्टरों की संख्या बढ़ाई जाए और अस्पताल का जीर्णोद्धार किया जाए, ताकि बढ़ती आबादी और मरीजों की संख्या को देखते हुए बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो सकें।