मां पुकारने वाली हजारों आवाज
अमिता शॉ ने बताया कि वे बायोलॉजिकल मां कभी नहीं बनी क्योंकि वह ङ्क्षसगल थी। लेकिन उनका हजारों-लाखों बच्चों से जुड़ाव रहा। उन्होंने बताया कि उन्होंने जीजस मैरी स्कूल और ब्रिटिश स्कूल दिल्ली में बच्चों को पढ़ाया। इसके बाद 26 साल राष्ट्रीय बाल भवन में डायरेक्टर रहीं। पांच साल विदेश जाकर मोरिसिस में सरकार की तरफ से जाकर भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार किया, वहां मेरे सेंटर पर हजारों बच्चों आते थे। इस दौरान मैंने हमेशा बच्चों के पर्सनेलिटी डवलपमेंट के ऊपर काम किया। मेरा विषय फिजिकल एजूकेशन और ड्रामा था। बच्चों को भाषण देना और आत्म विश्वास विकसित करना मैंने सिखाया।
अलवर•May 11, 2025 / 12:27 am•
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