scriptAlwar: अलवर पुलिस का बड़ा एक्शन, बड़े ऑनलाइन सट्टेबाजी गिरोह का पर्दाफाश, शातिर तरीके से करते थे ठगी | Online betting racket busted in Alwar, four accused arrested | Patrika News
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Alwar: अलवर पुलिस का बड़ा एक्शन, बड़े ऑनलाइन सट्टेबाजी गिरोह का पर्दाफाश, शातिर तरीके से करते थे ठगी

आरोपियों के पास से दो कार, पांच एंड्रॉयड मोबाइल फोन, दो स्कैनर, पांच पैन कार्ड, दो स्वीप मशीन, दो बैंक पासबुक, 18 एटीएम कार्ड, छह चेक बुक और 71 हजार 670 रुपए नगद सहित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए हैं।

अलवरJun 25, 2025 / 09:49 pm

Rakesh Mishra

alwar crime

पुलिस जीप- फाइल फोेटो- पत्रिका

राजस्थान में अलवर जिले के रामगढ़ थाना क्षेत्र में पुलिस ने एक बड़े ऑनलाइन सट्टेबाजी गिरोह का पर्दाफाश करते हुए चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस अधीक्षक संजीव नैन ने बुधवार को बताया कि पुलिस ने पिपरौली गांव थाना रामगढ़ निवासी वसीम मेव (24), साकिर मेव (28), खालिद मेव (25) और राजेश जाटव (30) को गिरफ्तार किया।

लाखों रुपए का लेन-देन

आरोपियों के पास से दो कार, पांच एंड्रॉयड मोबाइल फोन, दो स्कैनर, पांच पैन कार्ड, दो स्वीप मशीन, दो बैंक पासबुक, 18 एटीएम कार्ड, छह चेक बुक और 71 हजार 670 रुपए नगद सहित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए हैं। अनुमान है कि यह गिरोह रोजाना लाखों रुपए का लेन-देन करता था। यह गिरोह एक फर्जी वेबसाइट के माध्यम से करोड़ों रुपये का ऑनलाइन सट्टा और लूडो गेम खिला रहा था।

पिपरोली गांव में छापेमारी

उन्होंने बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर रामगढ़ के पिपरोली गांव में छापेमारी की गई। जांच में सामने आया कि ये आरोपी लोगों को ऑनलाइन कमाई का झांसा देकर अपनी बनाई गई फर्जी वेबसाइट पर सट्टा और लूडो गेम खेलने के लिए पैसे जमा करवाते थे। ठगी से मिली रकम को अलग-अलग बैंक खातों से जुड़े यूपीआई में डलवाया जाता था। इस अवैध राशि को वैध बनाने के लिए वे इसे जीएसटी पंजीकृत खातों में स्थानांतरित करते थे। जब एक खाते की सीमा पूरी हो जाती थी तो वे कमीशन के आधार पर अन्य फर्मों के जीएसटी पंजीकृत खातों का उपयोग करते थे।
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आरोपियों ने बनाई थी वेबसाइट

नैन ने बताया कि आरोपियों ने एक ऐसी वेबसाइट बना रखी थी, जिस पर सट्टेबाजी के कारण प्रतिदिन भारी मात्रा में लेनदेन होता था। वे लोगों के बैंक अकाउंट किराए पर लेकर उनमें पैसा डलवाते थे और बदले में खाताधारकों को कमीशन देते थे। यह पैसा फिर उनकी दो फर्जी संस्थानों के जीएसटी पंजीकृत खातों में स्थानांतरित कर दिया जाता था।
उन्होंने बताया कि हालांकि जब कोई व्यक्ति सट्टे में बड़ी राशि जीत जाता था तो उसे भुगतान नहीं किया जाता था। वेबसाइट के एडमिन की जानकारी न होने के कारण पीड़ित अपने पैसे वापस नहीं ले पाते थे। साथ ही सट्टे जैसी अवैध गतिविधि में संलिप्तता के कारण वे पुलिस में शिकायत करने से भी डरते थे।

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