भारी भीड़ की वजह से कई बच्चे, महिला और पुरुष अपने परिजनों से बिछड़ गए। हालांकि यहां बने कंट्रोल रूम के जरिए सभी को मिलवाया गया। करीब 100 शिकायतें मिलीं। कंट्रोल रूम से माइक के जरिए अनाउंस कर लोगों को दर्शनों की जानकारी दी गई। सरपंच पेमाराम ने बताया कि बिछड़े लोगों को मिलाने के लिए कंट्रोल रूम लगातार काम कर रहा है।
बाबा भर्तृहरि की प्रतिमा पर धोक लगाने से पहले श्रद्धालुओं ने अमर गंगा में डुबकी लगाई। माना जाता है कि यहां स्नान करने से सारी थकावट दूर हो जाती है। इसके बाद भक्तों ने चुग्गा और घी चढ़ाया।
पार्किंग व्यवस्था, बसें भी फंसी
भर्तृहरि धाम से पहले ही तिराहे पर पार्किंग की व्यवस्था की गई थी। रोडवेज ने भी बड़ी संख्या में बसें चलाकर भक्तों को दर्शन कराए। हालांकि जाम की वजह से बसें कई जगहों पर फंस गई। इन्हें निकालने के लिए पुलिसकर्मियों को खासी मशक्कत करनी पड़ी।
सरिस्का के जंगल में भर रहे बाबा भर्तृहरि के लक्खी मेले में हर दिन हजारों लाठियों बिक रही है। सजावटी-बनावटी और मजबूत लाठियों की ज्यादा मांग है। श्रद्धालुओं का कहना है कि यही मेला है जिसमें मूसल, तवे, बिलौनी सहित लकड़ी व लोहे के कई घरेलू आइटम बिकते हैं।