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भर्तृहरि मेला: नाचते-गाते पहुंच रहे बाबा के भक्त, भंडारे में कर रहे सेवा

जयपुर रोड पर लंबा जाम, भीड़ बढ़ी तो कुशालगढ़ तिराहा से दुपहिया वाहनों की एंट्री बंद

अलवरAug 30, 2025 / 10:07 pm

mohit bawaliya

अलवर. भर्तृहरि धाम में दर्शन को उमड़े श्रद्धालु।

अलवर. बाबा भर्तृहरि के लक्खी मेले में शनिवार को भक्तों का रेला उमड़ा। अरावली की वादियों में पूरे दिन बाबा भर्तृहरि के जयकारे गूंजे। हालत यह थी कि भीड़ को देखते हुए पुलिस ने कुशालगढ़ से ही दुपहिया वाहनों की एंट्री को बंद कर दिया। नटनी का बारा और थानागाजी से भर्तृहरि धाम तक लंबा जाम लग गया। मगर श्रद्धालु कई किमी पैदल चलकर भी बाबा के दर्शन कर लौटे। एक अनुमान के मुताबिक करीब 3 लाख लोगों ने बाबा के दर्शन किए। रात से ही लोगों का भर्तृहरि धाम पहुंचना शुरू हो गया था। कोई पैदल तो कोई दंड़ौती लगाता हुआ बाबा के दर्शनों को पहुंचा। नाचते-गाते भक्त हाथों में ध्वजा लिए बाबा के जयकारे लगाते चल रहे थे। अलवर, दौसा, करौली, जयपुर, थानागाजी, मालाखेड़ा, सवाई माधोपुर, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा और दिल्ली के हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा के धोक लगाई और मन्नत मांगी। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में पुलिसकर्मी तैनात रहे।
मेले में बिछडऩे की 100 शिकायतें
भारी भीड़ की वजह से कई बच्चे, महिला और पुरुष अपने परिजनों से बिछड़ गए। हालांकि यहां बने कंट्रोल रूम के जरिए सभी को मिलवाया गया। करीब 100 शिकायतें मिलीं। कंट्रोल रूम से माइक के जरिए अनाउंस कर लोगों को दर्शनों की जानकारी दी गई। सरपंच पेमाराम ने बताया कि बिछड़े लोगों को मिलाने के लिए कंट्रोल रूम लगातार काम कर रहा है।
अमर गंगा में लगाई डुबकी, चढ़ाया चुग्गा और घी
बाबा भर्तृहरि की प्रतिमा पर धोक लगाने से पहले श्रद्धालुओं ने अमर गंगा में डुबकी लगाई। माना जाता है कि यहां स्नान करने से सारी थकावट दूर हो जाती है। इसके बाद भक्तों ने चुग्गा और घी चढ़ाया।

पार्किंग व्यवस्था, बसें भी फंसी
भर्तृहरि धाम से पहले ही तिराहे पर पार्किंग की व्यवस्था की गई थी। रोडवेज ने भी बड़ी संख्या में बसें चलाकर भक्तों को दर्शन कराए। हालांकि जाम की वजह से बसें कई जगहों पर फंस गई। इन्हें निकालने के लिए पुलिसकर्मियों को खासी मशक्कत करनी पड़ी।
लठ और मूसल भर्तृहरि मेले की पहचान
सरिस्का के जंगल में भर रहे बाबा भर्तृहरि के लक्खी मेले में हर दिन हजारों लाठियों बिक रही है। सजावटी-बनावटी और मजबूत लाठियों की ज्यादा मांग है। श्रद्धालुओं का कहना है कि यही मेला है जिसमें मूसल, तवे, बिलौनी सहित लकड़ी व लोहे के कई घरेलू आइटम बिकते हैं।

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