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अहमदाबाद

IITG गांधीनगर टीम ने खोजा बेहद पतला विद्युत निरोधक

-सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के नैनो ट्रांजिस्टर बनाने में होगा उपयोगी
-छोटे, तेज सेमीकंडक्टर के उन्नत उपकरण बनाने में मिलेगी मदद

-अमरीका की पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के सहयोग से की गई रिसर्च

अहमदाबादAug 11, 2025 / 10:11 pm

nagendra singh rathore

IIT Gandhinagar

आइआइटी गांधीनगर में टीम के साथ शोध पर कार्य करते प्रो.कबीर जसूजा।

Ahmedabad. सेमीकंडक्टर के हब के रूप में विकसित हो रहे गुजरात में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गांधीनगर की टीम ने की एक महत्वपूर्ण खोज की है। संस्थान ने बेहद पतली विद्युत निरोधक (इंसुलेटर) सामग्री खोजी है, जिससे सेमीकंडक्टर उपकरण जैसे -मोबाइल फोन, टैबलेट व अन्य को और भी छोटा, तेज , उन्नत बनाने में मदद मिलेगी। यह एक्सबीन्स परिवार के टाइटेनियम डेबोराइड मटीरियल से तैयार हुई है। इस शोध को हाल ही में एसीएस-नैनो जर्नल ने प्रकाशित किया है।

पतला होने पर भी पास नहीं होता करंट

इसे खोजने वाले IIT गांधीनगर केमिकल इंजीनियरिंग के प्रो.कबीर जसूजा ने बताया कि बेहद पतला इंसुलेटर होने के बावजूद ये करंट को पास नहीं होने देता है। इसका बेहतर पहलू यह है कि ये नैनो मटीरियल से बना है। ऐसे में यह उन्नत सेमीकंडक्टर उपकरण के नैनो ट्रांजिस्टर बनाने में काफी उपयोगी होगा, क्योंकि इसका इंटीग्रेशन आसान होगा। इससे ट्रांजिस्टर की लागत कम होगी। यह 60 मिलिवोल्ट सब थ्रेस होल्ड स्विंग प्रति डिकेट के मापदंड पर खरा उतरा है। 125 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी कार्यरत रहता है।अमरीका की पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के सहयोग से विकसित यह सामग्री उच्च विद्युत प्रदर्शन प्रदान करती है। इसे सरलता से बड़े पैमाने पर उत्पादित किया जा सकता है। यह सही संतुलन बनाने में सक्षम है।

पतले विद्युत निरोधक की सटीकता

सामग्री पर इलेक्ट्रॉनिक अध्ययन करने वाले पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग के प्रो.डॉ. सप्तर्षि दास ने कहा कि इसकी भौतिक मोटाई 50 नैनोमीटर से अधिक होने के बावजूद भी इसने लगभग दो नैनोमीटर की समतुल्य ऑक्साइड मोटाई (ईओटी) हासिल की है। यह अनूठा संयोजन परावैद्युत को एक अति पतले इंसुलेटर की सटीकता प्रदान करता है, जबकि एक मोटी फिल्म के स्थायित्व और रिसाव प्रतिरोध को भी बनाए रखता है। ऐसा संतुलन शायद ही कभी हासिल किया जाता है।आईआईटी गांधीनगर में नैनो मटेरियल का संश्लेषण करने वाले पीएचडी छात्र अंशुल रसयोत्रा भी इस शोध का हिस्सा हैं।

125 डिग्री तापमान सहने में सक्षम

शोध टीम के तहत जांच में केवल एक वोल्ट की आपूर्ति पर दस लाख का ऑन-ऑफ करंट अनुपात भी दर्ज हुआ है, जो न्यूनतम ऊर्जा उपयोग के साथ करंट प्रवाह पर सटीक नियंत्रण का संकेत देता है। रिसाव धारा 0.0001 एम्पीयर प्रति वर्ग सेंटीमीटर से भी कम है, जो अवांछित ऊर्जा हानि को रोकने की इस सामग्री की प्रबल क्षमता दर्शाती है। परीक्षणों से यह भी पता चला कि यह परावैद्युत 125 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को सहन कर सकता है। प्रदर्शन में गिरावट के बिना एक अरब से ज़्यादा स्विचिंग चक्रों को सहन कर सकता है। ऐसा लचीलापन वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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