scriptसत्तू तीज सिंजारा में लोकगीतों ने बांधा समां | Folk songs enthralled the audience at Sattu Teej Sinjara | Patrika News
अहमदाबाद

सत्तू तीज सिंजारा में लोकगीतों ने बांधा समां

राजस्थान पत्रिका स्थापना दिवस पर ब्लू सिटी पॉजिटिव फोरम के साथ आयोजन- पत्रिका ने किया पुरस्कृत

अहमदाबादAug 11, 2025 / 10:36 pm

Omprakash Sharma

राजस्थान पत्रिका स्थापना दिवस पर ब्लू सिटी पॉजिटिव फोरम के साथ आयोजन- पत्रिका ने किया पुरस्कृत

राजस्थान पत्रिका अहमदाबाद संस्करण के 24वें स्थापना दिवस पर सोमवार को ब्लू सिटी पॉजिटिव फोरम अहमदाबाद की ओर से आयोजित बड़ी तीज एवं सत्तू तीज सिंजारा कार्यक्रम में लोकगीतों पर महिलाओं ने नृत्य किया।शहर के एलिसब्रिज क्षेत्र में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने वालों में ज्यादातर राजस्थान के जोधपुर मूल के थे। यहां पर मारवाड़ी भाषा में नाटक का मंचन किया गया। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को राजस्थान पत्रिका की ओर से पुरस्कृत किया गया।
इस दौरान महिलाओं ने मेहंदी कार्यक्रम, हाउजी, लोक संगीत और नृत्य के अलग अलग कार्यक्रम किए, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।फोरम की निदेशकों में से एक शैली बापना ने बताया कि अहमदाबाद में बड़ी संख्या में राजस्थान के जोधपुर मूल के लोग रहते हैं। ये सभी परिवार गुजरात को कर्मभूमि और राजस्थान को मातृभूमि का दर्जा देकर आज भी अपनी संस्कृति से जुड़े हुए हैं। यही कारण है कि सोमवार को आयोजित तीज के अवसर पर गुजरात की संस्कृति के साथ-साथ राजस्थान की संस्कृति की भी झलक देखने को मिली। नाटक मंचन राजस्थानी अंदाज में किया गया, जो काफी आकर्षण का केंद्र रहा। इस मौके पर फोरम के निदेशक एमएम सिंघी, दीपक जैन, राजेंद्र अग्रवाल, मयंक बापना के साथ-साथ हेमंता सोनी, शीतल भंडारी, सुमन भंडारी, शिवानी संकलेचा समेत अनेक महिलाओं का भी अहम योगदान रहा।

जोधपुर अंदाज में मनाया तीज का पर्व

अहमदाबाद में जोधपुरी अंदाज में बड़ी तीज का आयोजन किया गया। हर साल रक्षाबंधन के तीन दिन बाद भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व सातुड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। ब्लू सिटी अहमदाबाद परिवार की मारवाडी महिलाओं ने बड़ी तीज उत्सव (सत्तूड़ी तीज)की सामूहिक पूजा भी की। उन्होंने कहा कि अपनी संस्कृति को बचाने के लिए इस तरह के प्रयास किए जाते हैं, ताकि नई पीढ़ी आधुनिकता के इस दौर में भी अपनी संस्कृति, परंपरा और परिवार को जोड़ सके। इसमें राजस्थान पत्रिका भी एक बड़ा माध्यम है।

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